शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

EXPERIENCE QUITE

कभी दुख का अनुभव किया,
कभी सुख का अनुभव किया,
इन्हीं से जिंदा हूं मैं,
ये मैंने अनुभव किया।

मंगलवार, 20 जून 2023

आप सभी को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक बधाई!


 ।।करें योग, रहें निरोग।।


आप सभी को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 

की हार्दिक बधाई!


आइये, इस अवसर पर हम सभी संकल्प लें कि स्वस्थ व खुशहाल जीवन के लिए नियमित योगाभ्यास को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं तथा स्वस्थ जीवन की रचना करें।

#InternationalYogaDay

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं।

 🌹*मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं।*🌹 ==================== 

 1. *कामना* - यदि मृत्यु के समय हमारे मन में किसी वस्तु विशेष के प्रति कोई आसक्ति शेष रह जाती है, कोई इच्छा अधूरी रह जाती है, कोई अपूर्ण कामना रह जाती है , तो मरणोपरांत भी वहीं कामना उस जीवात्मा के साथ जाती है। ==================== 

2. *वासना* - वासना कामना की ही साथी है। वासना का अर्थ शारीरिक भोग से नही , अपितु इस संसार में भोगे हुए हर उस सुख से है , जो उस जीवात्मा को आनन्दित करता है। फिर वो घर हो , पैसा हो , गाड़ी हो, रूतबा हो, या शौर्य। मृत्यु के बाद भी ये अधूरी वासनाएं मनुष्य के साथ ही जाती हैं और मोक्ष प्राप्ति में बाधक होती है। ==================== 3.*कर्म* - मृत्यु के बाद हमारे द्वारा किये गए कर्म चाहे वो सुकर्म हो अथवा कुकर्म हमारे साथ ही जाता है। मरणोपरांत जीवात्मा अपने द्वारा किये गए कर्मो की पूँजी भी साथ ले जाता है। जिस के हिसाब किताब द्वारा उस जीवात्मा का यानी हमारा अगला जन्म निर्धारित किया जाता है। ====================

 4. *कर्ज़* - यदि मनुष्य ने आपने जीवन में कभी भी किसी प्रकार का ऋण लिया हो तो उस ऋण को यथासम्भव उतार देना चाहिए , ताकि मरणोपरांत इस लोक से उस ऋण को उसलोक में अपने साथ न ले जाना पड़े। ==================== 

5. *पूण्य* - हमारे द्वारा किये गए दान-दक्षिणा व परमार्थ के कार्य ही हमारे पुण्यों की पूंजी होती है। इसलिए हमें समय-समय पर अपने सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा एवं परमार्थ और परोपकार आवश्य ही करने चाहिए। 🌹 🌹

शनिवार, 21 मई 2022

बाप बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा ......??


 जब तक बाप जिंदा रहता है, बेटी मायके में हक़ से आती है और घर में भी ज़िद कर लेती है और कोई कुछ कहे तो डट के बोल देती है कि मेरे बाप का घर है। पर जैसे ही बाप मरता है और बेटी आती है तो वो इतनी चीत्कार करके रोती है कि, सारे रिश्तेदार समझ जाते है कि बेटी आ गई है।*


*और वो बेटी उस दिन अपनी हिम्मत हार जाती है, क्योंकि उस दिन उसका बाप ही नहीं उसकी वो हिम्मत भी मर जाती हैं।*


*आपने भी महसूस किया होगा कि बाप की मौत के बाद बेटी कभी अपने भाई- भाभी के घर वो जिद नहीं करती जो अपने पापा के वक्त करती थी, जो मिला खा लिया, जो दिया पहन लिया क्योंकि जब तक उसका बाप था तब तक सब कुछ उसका था यह बात वो अच्छी तरह से जानती है।* 


आगे लिखने की हिम्मत नहीं है, बस इतना ही कहना चाहता हूं कि बाप के लिए बेटी उसकी जिंदगी होती है, पर वो कभी बोलता नहीं, और बेटी के लिए बाप दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और घमंड होता है, पर बेटी भी यह बात कभी किसी को बोलती नहीं है। 


बाप बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा है❗

शनिवार, 16 अप्रैल 2022

संत शिरोमणि 1008 गुरुदेव श्री पीपाजी महाराज की जयंती..


 भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत , समाज सुधारक संत शिरोमणि 1008 गुरु देव श्री पीपा जी महाराज की 699 वी जयंती पर चरणों में वंदन एव आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं


संत शिरोमणि और मध्यकालीन भक्ति जागरण में हिन्दू समाज मे चेतना और अहिंसा की अलख जगाने वाले श्री पीपा जी महाराज झालावाड़ के गागरोन गढ़ के राजा थे । आपने राज्यसत्ता का त्याग कर स्वामी रामानंद जी से दीक्षा ली और संत कबीर के गुरू भाई बने।
ज्ञातव्य है कि पीपाजी महाराज के शासककाल में दिल्ली के तत्कालीन सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने आक्रमण कर दिया। महाराजश्री ने मुगलों से लोहा लेकर विजय हासिल की लेकिन युद्धजन्य उन्माद, हत्या, लूट-खसोट के वातावरण और जमीन से जल तक के रक्तपात को देख उनका हृदय भक्ति की ओर उनमुख हो गया। काशी जाकर स्वामी रामानंद शिष्यत्व ग्रहण किया। कठिन परीक्षा में सफल होकर वे स्वामी रामानंद के 12 प्रधान शिष्यों में स्थान पाकर संत कबीर के गुरुभाई बने। पीपाजी को निर्गुण भावधारा का संत कवि, समाज सुधार और विचारक-प्रचारक माना जाता है।  
उनके द्वारा रचे गए दोहे और काव्य साहित्य हिंदू भक्ति जन जागरण काल की धरोहर है।
झालावाड़ के पास आहू और कालीसिंध नदी के किनारे बना प्राचीन जलदुर्ग गागरोन संत पीपाजी की जन्म और शासन स्थली रहा है। इसी के सामने दोनों नदियों के संगम पर उनकी समाधि, भूगर्भीय साधना गुफा और मंदिर आज भी स्थित हैं। उनका जन्म 14वीं सदी के अंतिम दशकों में गागरोनगढ़ के खीची राजवंश में हुआ था। वे गागरोन राज्य के एक वीर, धीर और प्रजापालक शासक थे। उन्होंने संत बनने के बाद कपड़े खुद सिले और अपने तमाम क्षत्रिय अनुयायियों को अहिंसा छोड़कर जीवन यापन के लिए सुई और धागे से सिलाई करने की नसीहत दी। इसलिए श्री पीपा क्षत्रिय समाज उन्हें अपना आराध्यदेव मानता है और संपूर्ण समाज द्वारा प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जाती है।

सोमवार, 21 मार्च 2022

विश्व जल दिवस पर शायरी 2022

 विश्व जल दिवस पर शायरी 2022: विश्व जल दिवस प्रत्येक वर्ष २२ मार्च को सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है | इस दिन को मनाने का एहम उद्देश्य लोगो को जल के प्रति जागरूक करना है | एक बात आप लोग हमेशा से सुनते आरहे है की जल है तो जीवन है | लेकिन इस बात को बहुत ही कम लोग समझ पाते है | पानी की अहमियत हमे तभी पता पड़ती है जब हम पानी की किल्लतों से झुझते है | इसी विषय में आज में आपके साथ ये पोस्ट “विश्व जल दिवस पर शायरी – World Water Day par Shayari in Hindi 2022

गुरुवार, 13 जनवरी 2022

समस्त प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

 मकर संक्रांति (उत्तरायण) के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

संक्रांति भगवान सूर्य की पूजा, पवित्र नदी-सरोवर में स्नान और दान-पुण्य का पर्व तो है ही, साथ ही नई फसल की खुशी का भी पर्व है।

#HappyMakarSankran


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कभी दुख का अनुभव किया, कभी सुख का अनुभव किया, इन्हीं से जिंदा हूं मैं, ये मैंने अनुभव किया।